II विष्णु खरे स्मृति सम्मान II
कवि, आलोचक, अनुवादक, पत्रकार, संपादक, फ़िल्म और कला मर्मज्ञ स्वर्गीय विष्णु खरे (9 फरवरी, 1940-19 सितम्बर, 2018) सतर्क पाठक भी थे. सत्य के प्रति निष्ठा, साहसी स्वातन्त्र्य, और वैश्विक मूल्यबोध उनके रचना कर्म और जीवन के केंद्र में थे, वे आजीवन युवा रचनाशीलता के निर्मम पारखी और खुले दिल के प्रस्तोता रहे. उनकी यह जगह आज भी खाली है.
उनकी स्मृति में उनके प्रशसंक ‘विष्णु खरे स्मृति सम्मान’ प्रारम्भ
करने का इरादा रखते हैं यह जानते हुए कि हिंदी में पुरस्कार देना, लेना ज़ोखिम भरा कार्य है. ख़ुद विष्णु खरे ने हिंदी में पुरस्कारों की
असफलता पर निर्मम होकर लिखा है.
क्या हिंदी में किसी ऐसे पुरस्कार के विषय में सोचा जा सकता है जिसके
चयन में पाठकों की भूमिका केंद्र में रहे.
‘विष्णु खरे स्मृति सम्मान’
हिंदी का शायद पहला पुरस्कार होने जा रहा है जो पाठकों द्वारा अधिकतम निर्धारित
होगा. विष्णु खरे की स्मृति में प्रत्येक वर्ष हिंदी आलोचना, अनुवाद, कविता, कथा-साहित्य
में उल्लेखनीय कृति को सम्मानित किया जाएगा. इसके लिए हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था
प्रस्तावित करते हैं.
यह सम्मान रचना के लिए है, जिसके लिए रचनाकार को
सांकेतिक रूप से सम्मानित किया जाएगा. इसके लिए प्रविष्टियाँ पाठकों द्वारा
अनुशंसित की जाएंगी. कोई भी पाठक किसी उत्कृष्ट रचना को प्रस्तावित कर सकता है जो
इस सम्मान के लिए तय नियमों पर खरी उतरती हो. उसे इसके साथ ही अधिकतम एक हजार
शब्दों में अपनी अनुशंसा भी देनी होगी कि उक्त रचना किस तरह सत्यनिष्ठा, स्वातन्त्र्य और वैश्विक मूल्यबोध के आदर्शों पर खरी उतर रही है.
‘विष्णु खरे स्मृति संस्थान’ की निर्णायक समिति उनमें से अधिकतम पाँच प्रविष्टियाँ चयनित करके पाठकों के समक्ष मतदान हेतु प्रस्तावित करेगी. बहुमत से यह सम्मान तय किया जाएगा.
यह सम्मान २०२१ से शुरू किया जाएगा. यह हर तीसरे साल अपनी विधा में गत तीन वर्ष में किसी प्रविष्टि को दिया जाएगा.
२०२१ में यह सम्मान आलोचना और अनुवाद के क्षेत्रों में (साहित्य-समालोचना, सिने-आलोचना, कविता-अनुवाद, कहानी-अनुवाद, विशिष्ट लेखों के अनुवाद) दिए जाएँगे, जो पिछले तीन वर्षों (सन् २०१८/१९/२० तक) में प्रकाशित हुईं हों.
२०२२ में यह सम्मान कविता के क्षेत्र में दिया जाएगा जो पिछले तीन वर्षों (२०१९/२०/२१तक) में प्रकाशित हुई हों.
२०२३ में तीसरा सम्मान कथा और उपन्यास की श्रेणी में पिछले तीन वर्षों (२०२०/२०२१/२०२२) में प्रकाशित कथा कृति को दिया जाएगा.
प्रत्येक वर्ष पुरस्कार राशि २१ ,००० रुपये तय की गयी
है जो समय के साथ बढ़ भी सकती है.
पाठकों की सहभागिता के लिए समुचित तकनीकी व्यवस्था की जाएगी, ताकि सम्पूर्ण उपक्रम पारदर्शी रहे.
रचना (कविता, अनुवाद, कहानी या आलोचनात्मक
लेख) का प्रकाशन हिन्दी की किसी प्रतिष्ठित वेब या मुद्रित पत्रिका में हुआ हो या
किसी भी प्रकाशन से पुस्तकाकार प्रकाशित हो.
लेखक की उम्र उक्त वर्ष के ३१
दिसम्बर को ४० वर्ष से अधिक नहीं होनी
चाहिए.
पाठक संदर्भित वेब साईट पर नियत वर्ष के नवम्बर माह तक अपनी
संस्तुतियां लिखित पोस्ट करेंगे जिसमें से निर्णायक मंडल (अध्यक्ष, सचिव और विषय विशेषज्ञ) पांच प्रविष्टियों को चयनित कर पाठकों के समक्ष
प्रस्तुत करेंगे. जिनमें से किसी एक का चयन बहुमत के आधार पर पाठकों द्वारा होगा.
यह प्रक्रिया दिसम्बर माह में पूरी कर ली जायेगी. और जनवरी में इसकी घोषणा की
जायेगी.
सम्मान राशि और प्रशस्ति-पत्र विष्णु खरे के जन्मदिन - 9 फरवरी को एक
सादे समारोह में दिया जाएगा.
कोई भी पुरस्कृत लेखक किसी दूसरे वर्ग में दुबारा पुरस्कृत नहीं होगा.
निर्णायकों का निर्णय अंतिम होगा.
निर्णायक समिति:
समालोचन के संपादक आदरणीय अरुण देव जी, जिन पर विष्णु खरे जी
का विशेष स्नेह रहा, निर्णायक समिति के अध्यक्ष होंगे.
कथाकार प्रचण्ड प्रवीर विष्णु खरे स्मृति संस्थान के सचिव होंगे.
अध्यक्ष हर वर्ष विषय
विशेषज्ञ/विशेषज्ञों को निर्णायक समिति
में आमंत्रित करेंगे. यह घोषणा विधिवत की जाएगी.
विष्णु खरे स्मृति निधि के संचालक अध्यक्ष और सचिव होंगे.
विष्णु खरे स्मृति निधि न्यास में दान अपेक्षित है. हालांकि यह शुरू
में व्यक्तिगत संसाधनों द्वारा चलाई जाएगी.
निर्णायक समिति विष्णु खरे स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन भी करेगा.
चयनित रचना ‘समालोचन वेब पत्रिका’ पर पुनर्मुद्रित होगी,
निर्णायक समिति की संस्तुति और पाठकों द्वारा प्रेषित उत्कृष्ट अनुशंसित
टिप्पणियाँ भी समालोचन पर प्रकाशित की
जाएँगी.
निर्णायक समिति के किसी भी सदस्य को इस पुरस्कार के लिए संस्तुत नहीं
किया जा सकेगा.
इस पुरस्कार की चयन प्रक्रिया को और बेहतर बनाने के लिए आपके सुझाव
आमंत्रित हैं.
सचिव
प्रचण्ड प्रवीर